राज्यसभा चुनाव के परिणाम पर दूसरी वरीयता के मतों का क्या प्रभाव होगा
राज्यसभा के लिए दस सीटों के लिए चल रहे चुनाव में भाजपा ने आठवीं प्रत्याशी को मुकाबला के लिए उतारा है, जिससे माहौल में रोचकता बढ़ गई है। भाजपा को आठवीं सीट को प्राप्त करने के लिए नौ वोटों का जुगाड़ करना होगा, जबकि सपा को तीसरी सीट के लिए तीन वोटों का समर्थन जुटाना होगा।
लखनऊ में भाजपा ने आठवीं प्रत्याशी को मैदान में उतारकर 2018 के ऐतिहासिक परिणाम को दोहराने की तैयारी में उतरा है। 2018 के राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा के पास आठ प्रत्याशी थे और वे जीतने के लिए पर्याप्त समर्थन रखते थे, लेकिन उन्होंने डॉक्टर अनिल अग्रवाल को नौवीं प्रत्याशी के रूप में उतारा था।
डॉ. अग्रवाल एक प्रमुख शिक्षण संस्थान के संचालक और उद्यमी भी हैं। इस दौरान, भाजपा ने बसपा के विधायक अनिल सिंह, सपा के पूर्व विधायक नितिन अग्रवाल, और रालोद के सहेंद्र सिंह रमाला से वोट प्राप्त किया था। डॉ. अनिल अग्रवाल ने सबसे अधिक वोट प्राप्त किए थे।
इस बार भी, भाजपा ने सपा के प्रत्याशी संजय सेठ को जीतने के लिए उनकी तैयारी शुरू की है। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह, और अन्य नेताओं को भी इस कार्य में शामिल किया गया है। कुछ सपा विधायकों की भाजपा की शीर्ष नेताओं से बातचीत भी हो सकती है, जैसे कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
विधायक अनुपस्थित हो जाते हैं, तो न्यूनतम मतों की संख्या
यदि विधायकों में अनुपस्थिति है, तो न्यूनतम मतों की संख्या कम हो सकती है। निर्वाचन अधिकारी ब्रजभूषण दूबे का कहना है कि विधानसभा में वर्तमान में 399 सदस्य हैं। इसके आधार पर, एक प्रत्याशी को जीतने के लिए न्यूनतम 37 मतों की आवश्यकता है। विधायकों की संख्या के आधार पर एक राज्यसभा प्रत्याशी को जीतने के लिए न्यूनतम मतों की गणना की जाएगी। यदि विधायक अनुपस्थित रहते हैं तो जीत के लिए आवश्यक न्यूनतम मतों की संख्या में कमी भी हो सकती है।
मतों की गणना दूसरी प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।
राज्यसभा चुनाव के विशेषज्ञों का मानना है कि अब 10 सीटों पर 11 प्रत्याशी होने के कारण, मतदान के बाद एकल संक्रमणीय पद्धति से मतों की गणना की जाएगी। अब भाजपा और सपा को अपने प्रत्याशियों को समान वोट दिलाने की बजाय वरीयता के क्रम में मतदान कराना होगा। उदाहरण के रूप में, भाजपा के सभी विधायक अपना मत प्रथम और द्वितीय वरीयता के क्रम में देंगे।
एक प्रत्याशी को जीत के लिए 37 वोट की आवश्यकता है। यदि भाजपा के प्रत्याशी सुधांशु त्रिवेदी को 40 वोट प्राप्त होते हैं प्रथम वरीयता में, तो उनके शेष 3 वोट स्वत: ही द्वितीय वरीयता के क्रम में जो प्रत्याशी होगा, उसके खाते में जुड़ जाएंगे। भाजपा किसी प्रत्याशी को 40 वोट देगी, तो किसी को केवल 35 वोट देगी।
मतदान अधिकारी ब्रजभूषण दूबे ने बताया कि 10 सीटों के लिए चल रहे चुनाव में 11 प्रत्याशी मैदान में होने के कारण, अब प्राथमिक और द्वितीय वरीयता के मतों के आधार पर मतों की गिनती की जाएगी। पहली वरीयता में जिन्हें 37 वोट मिलेंगे, उन्हें पहले विजयी घोषित किया जाएगा। इसके बाद, द्वितीय वरीयता के मतों की गिनती की जाएगी। द्वितीय वरीयता में जिस प्रत्याशी के पास अधिक वोट होंगे, वह विजेता घोषित किया जाएगा।