आजकल युवाओं के बीच ईयरफोन (Earphones) या हेडफोन (headphones) का चलन बढ़ने लगा है। चाहे आप कहीं बाहर घूमने जाएं या बस, मेट्रो ट्रेन में सफर कर रहे हों, लोग अपने ईयरफोन को कानों में मजबूती से लगाए रहते हैं। लेकिन इनमें से एक चिंता यह है कि लोग घंटों तक हेडफोन को अपने कानों में लगाए रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से कौन सा हेडफोन या ईयरफोन कानों के लिए बेहतर है?
ईयरफोन और हेडफोन दोनों का लंबे समय तक इस्तेमाल कानों के लिए बेहद खतरनाक है। घंटों तक तेज़ आवाज़ में इयरफ़ोन या हेडफ़ोन पहनने से भी लोगों की सुनने की क्षमता ख़राब हो सकती है।
क्या वाकई हेडफ़ोन या इयरफ़ोन का कानों पर अलग प्रभाव पड़ता है ?
ईएनटी विशेषज्ञ डाॅ. रचना मेहता ने अपने इंस्टाग्राम (instagram) अकाउंट पर ईयरफोन और हेडफोन को लेकर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वह कहते हैं कि जब इन-ईयर इयरफ़ोन और ओवर-ईयर हेडफ़ोन के बीच चयन करने की बात आती है, तो हेडफ़ोन बेहतर विकल्प हैं। ईयरफोन कान को पूरी तरह से ब्लॉक कर देता है ईयरफोन सीधे आपके कान की कर्ण नलिका को प्रभावित करता है। जब इयरफ़ोन को कान नहर में डाला जाता है, तो वे कान के मैल को कान में गहराई तक धकेल सकते हैं, जिससे कान में रुकावट पैदा हो सकती है। ईयरफोन का सीधा असर हमारे कान के परदे पर पड़ता है। आवाज वहां तक पहुंचते ही कान को नुकसान पहुंचाती है. यह नमी को फँसा लेता है, जिससे कान में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।
- Advertisement -
विशेषज्ञों के मुताबिक, ईयरफोन के लगातार और लंबे समय तक इस्तेमाल से शोर प्रेरित श्रवण हानि (NIHL) का खतरा बढ़ जाता है।
अगर आप ईयरफोन का इस्तेमाल कभी-कभी कुछ देर के लिए करते हैं तो ठीक है, लेकिन अगर आप मीटिंग, लेक्चर या म्यूजिक के लिए लंबे समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो हेडफोन लगाना बेहतर है।
युवाओं को ईयरफोन और हेडफोन का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। अथवा अधिक से अधिक 60 प्रतिशत से कम मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
विशेषज्ञों के मुताबिक, लंबे समय तक ईयरफोन और हेडफोन दोनों को तेज आवाज में इस्तेमाल करने से कानों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में सावधानी बहुत जरूरी है ।