28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन होने जा रहा है। यह भवन मौजूदा संसद भवन की जगह लेगा। हालांकि, इसके उद्घाटन को लेकर लगातार सियासी बवाल मचा हुआ है। कई राजनीतिक दलों ने 28 मई को होने वाले समारोह के बहिष्कार का एलान किया है।
28 मई को दोपहर 12 बजे पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। हालांकि, इससे पहले कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, आप, जेडीयू, आरजेडी, सीपीआई समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस समारोह का बहिष्कार किया है।
जानकारी के मुताबिक, समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार को लेकर विचार-विमर्श किया है।जल्द ही सदन के सभी नेता एक संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं। इसमें कार्यक्रम के संयुक्त बहिष्कार की घोषणा की जाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर और मनीष तिवारी ने संविधान के कई अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रपति को पीएम के बजाय भवन का उद्घाटन करना चाहिए।
राजनीतिक दलों के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार करने पर भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इन दलों पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस संविधान का गलत हवाला दे रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता अपने पाखंड को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने क्रमशः 24 अक्टूबर, 1975 को पार्लियामेंट एनेक्सी का उद्घाटन किया और 15 अगस्त 1987 को पार्लियामेंट लाइब्रेरी की आधारशिला रखी।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने खरगे के बयान का समर्थन करते हुए संविधान के अनुच्छेद 60 और अनुच्छेद 111 का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति संसद का प्रमुख होता है। थरूर ने कहा, ‘यह काफी विचित्र था कि निर्माण शुरू होने पर पीएम ने भूमि पूजन समारोह और पूजा की, यह उनके लिए पूरी तरह से समझ से बाहर और यकीनन असंवैधानिक है।
संविधान क्या कहता है?
संविधान राष्ट्रपति को कार्यकारी, विधायी, न्यायपालिका, आपातकालीन और सैन्य शक्तियां प्रदान करता है। विधायी शक्तियों में संसद के दोनों सदन, लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं। अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि, ‘संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन अर्थात राज्यसभा और लोकसभा शामिल होंगे।’
वहीं, संविधान का अनुच्छेद 74 (1) कहता है, ‘राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री के साथ एक मंत्रिपरिषद होगी, जो अपने कार्य सलाह के अनुसार कार्य करेगी। साथ ही इसमें उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद से इस तरह की सलाह पर आमतौर पर या अन्यथा फिर से विचार करने के लिए कह सकते हैं और राष्ट्रपति इस तरह के पुनर्विचार के बाद दी गई सलाह के अनुसार कार्य करेंगे।
अनुच्छेद 87 में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति को प्रत्येक संसद सत्र से पहले दोनों सदनों को संबोधित करना चाहिए। राष्ट्रपति की हरी झंडी के बिना दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक अधिनियम नहीं बन सकता। इस प्रकार, संविधान राष्ट्रपति को संसद के कामकाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका देता है।
SOURCE : AMAR UJALA